तपन लू की जो हरियाली उठाकर ले ही जाएगी
घटा भी सागरों का जल उड़ाकर ले ही जाएगी
सुगंधित फूल बन जाओ, खिलो डाली की बाहों पर
हवा खुशबू की साँसों को बहाकर ले ही जाएगी
सड़क सुनसान है, गश्ती सिपाही सो गए थककर
हमें भी रात की अंतिम घड़ी घर ले ही जाएगी
घरों का सुख कभी भीतर अहाते के नहीं मिलता
तुम्हें घर की ज़रूरत घर से बाहर ले ही जाएगी
तुम अपने आप पर विश्वास करना सीख लो वर्ना
परेशानी तुम्हें औरों के दर पर ले ही जाएगी
डा. गिरिराज शरण अग्रवाल
सोमवार, 17 अगस्त 2009
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